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जैन समुदाय ने भगवान महावीर का 2550 वां निर्वाण महोत्सव

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जैन समुदाय ने भगवान महावीर का 2550 वां निर्वाण महोत्सव

शहर के जीरो रोड, लाला मुकुंदी लाल जैन मंदिर, लाला जानकी प्रसाद जैन, बेनीगंज, कर्नलगंज, ऋषभदेव तपस्थली एवं नैनी स्थित जैन मंदिर में महावीर भगवान का 2550वां निर्वाण महोत्सव धूमधाम से मनाया गया। इस दौरान श्रद्धालु काफी उत्साहित नजर आए। लाला जानकी प्रसाद जैन मंदिर मे मुनि पावन सागर जी महाराज एवं मुनि सुभद्र सागर के सानिध्य में एवं पंडित सुनील जैन के निर्देशन में सबसे पहले महावीर भगवान का प्रथम अभिषेक एवं शांतिधारा की गयी।

शांति धारा करने के बाद निर्वाण कांड पढ़ा गया। इसके बाद महावीर भगवान का सर्वप्रथम निर्वाण लाडू 11 किलो का चढ़ाने का सौभाग्य डा मनोज जैन को मिला। सभी ने सामूहिक रूप से निर्वाण लाडू चढ़ाया। निर्वाण लाडू चढ़ाने वालों का दिन भर श्री पार्श्वनाथ मंदिर में श्रद्वालुओं का तांता लगा रहा। निर्वाण लाडू के बाद महावीर भगवान की सभी इन्द्रों ने 108 दीपकों से आरती की। प्रथम आरती करने का सौभाग्य शकुंतला जैन सपरिवार को मिला। तत्पश्चात दैनिक पूजा की गई।

इस अवसर पर नगर के विभिन्न जैन मंदिरों को विद्युत झालरो एवं रंगोंली बनाकर सजाया गया। नगर के ज़ीरो रोड जैन मंदिर में ४ महीनों से चातुर्मास कर रहे मुनि पावन सागर महाराज एवं मुनि सुभद्र सागर का चातुर्मास निष्ठापन हुआ। मुनि पावन सागर महाराज ने बताया कि भगवान महावीर का जन्म कुंडलपुर एवं मोक्ष पावापुर मे हुआ था उन्होंने बताया कि भगवान महावीर का आत्म धर्म जगत की प्रत्येक आत्मा के लिए समान था। उनका कहना था कि हम दूसरों के प्रति भी वही व्यवहार व विचार रखें जो हमें स्वयं को पसंद हों।यही उनका ‘ जीयो और जीने दो ‘ का सिद्धांत है।

 

उन्होंने न केवल इस जगत को मुक्ति का सन्देश दिया, अपितु मुक्ति की सरल और सच्ची राह भी बताई। उन्होंने बताया कि पटाखे जलाने से जीवों की हिंसा होती है,प्रदूषण फैलता है साथ ही धन का भी विनाश भी होता है। इसलिए दीपावली पर पटाखे नहीं जलाना चाहिए।


जैन महिला मंडल की मंत्री बाला जैन ने बताया कि हमें अपने जीवन मे महावीर के सिद्धांतों को अपनाना है तभी हमारा निर्वनोत्सव मनाना सार्थक है।

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