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सोनभद्र में भ्र्ष्टाचार की गंगोत्री को सूखने नहीं दे रहे अधिकारी, अधिकारियों के संज्ञान में सोलर वाटर पम्प लगाने में खेला

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सोनभद्र में भ्र्ष्टाचार की गंगोत्री को सूखने नहीं दे रहे अधिकारी,
अधिकारियों के संज्ञान में सोलर वाटर पम्प लगाने में खेल

रिपोर्ट-समर सैम
सोनभद्र| जनपद सोनभद्र के म्योरपुर में लगाये जा रहे सोलर वॉटर पम्प की अनियमितता के सम्बंध में बीजेपी नेता ने अधिकारियों से लिखित शिकायत की। ग्रामीणों ने भ्र्ष्टाचार की शिकायत भाजपा पदाधिकारी से की। भाजपा नेता ने सम्बंधित अधिकारियों को इस भ्र्ष्टाचार से अवगत कराया। सोलर वॉटर पम्प लगाने में किये जाने वाले भ्र्ष्टाचार से ग्रामीणों का आक्रोश भाजपा सरकार पर फूटने लगा। किसी प्रकार की कार्रवाई न होने पर आक्रोशित ग्रामीण स्थानीय भाजपा नेताओं की संलिप्तता की चर्चा और आरोप प्रत्यारोप लगाने लगे। इससे विपक्ष को मुद्दा मिल गया। व्यापक पैमाने पर अधिकारियों की मिलीभगत से घोटाले का खेल खेला गया। मौके के मुंतज़िर स्थानीय विपक्षी नेताओं ने इस खेल को प्रदेश स्तर तक पहुंचा दिया। अधिकारियों के इस खेल से भाजपा सरकार की किरकिरी और जग हँसाई होने लगी। इससे व्यथित स्थानीय भाजपा नेता मंडल अध्यक्ष म्योरपुर मोहरलाल खरवार ने जिला धिकारी सोनभद्र से पॉइंट टू पॉइंट लिखित शिकायत कर भ्र्ष्टाचार को रोकने की गुज़ारिश की। ताकि आगामी लोकसभा चुनाव 2024 में भ्र्ष्ट अधिकारियों के क्रियाकलापों के चलते भाजपा सरकार को जनता का कोप भाजन न बनना पड़े। भाजपा नेता ने बाकायदा शिकायती पत्र में आरोप लगाया कि रवि दत्त मिश्रा सहायक विकास अधिकारी पंचायत खण्ड दुद्धी जमकर अनियमितता का खेल खेल रहे हैं। म्योरपुर ब्लॉक की पिच पर जमकर बल्लेबाज़ी कर रहे हैं। क्लीन बोल्ड करने की हिम्मत किसी में नहीं है। इनकी विस्फोटक बल्लेबाजी के आगे सभी तेज़ गेंदबाज़ असहाय नज़र आ रहे हैं। इनके द्वारा प्रशासक और एडीओ पंचायत रहते बिना ग्राम सभा की बैठक व अनुमोदन और बिना कार्यवाही के सोलर वॉटर पम्प लगाया गया है। भाजपा नेता ने अपने शिकायती पत्र में बेहद गंभीर आरोप लगाते हुए कहा कि एडीओ पंचायत पद का दुरुपयोग कर अभिलेखों में छेड़छाड़ कर कूट रचित अभिलेख तैयार कर रहे हैं। साथ ही पूर्व के अभिलेखों को नष्ट कर रहे हैं। इस मामले को उच्चाधिकारियों ने साजिशन या लापरवाही से पलने पोसने दिया। बल्कि यूं कहें कि इस मामले में अधिकारियों का रवैया खेत में खाद छीटने जैसा है। दिलचस्प बात ये है कि ज़िम्मेदार विभागीय अधिकारी ने पत्र जारी कर एक हफ़्ते में जांच रिपोर्ट सौंपने का आदेश जारी किया। एक महीने से अधिक समय होने पर भी जांच मोकम्मल नहीं कि गई। इस दौरान सप्लायर को बाज़ार रेट से अधिक कीमत पर घटिया क्वॉलिटी के उपकरण सप्लाई का भुगतान भी कर दिया गया। दिलचस्प बात ये है कि सप्लायर प्रयागराज जनपद का रहने वाला है। जिसपर पहले भी बेंच घोटाले का आरोप लग चुका है। इसके बाद भी वह सप्लायर दोबारा सोनभद्र में खेला करने में कामयाब हो गया। बिना किसी सियासी सपोर्ट के दोबारा से इतना बड़ा खेला करना नामुमकिन है। जिलाधिकारी ने तीन सदस्यीय जांच टीम घटित की है। अब देखना ये है कि जांच अधिकारियों द्वारा दोबारा चिराग़ घिसने से क्या निकलकर सामने आता है। जनपद सोनभद्र में सप्लाई के नाम पर लगातार भ्र्ष्टाचार को दावत दिया जा रहा है। इस पर बार बार जांच के नाम पर रस्म अदायगी की जा रही है। जिलाधिकारी सोनभद्र के आदेश और जांच पर कार्रवाई न के बराबर होती है। जिस अधिकारी को जांच मिलती है वह उसे लीपापोती कर ठंडे बस्ते में डाल देता है। जबकि बार बार अधिकारियों के जांच आदेश को अमल में न लाने पर पब्लिक एडमिनिस्ट्रेशन रूल्स के तहत सम्बंधित अधिकारियों पर फौरन एक्शन लेना चाहिए था। ऐसा न करने पर उक्त जांच अधिकारी उच्चाधिकारियों के आदेश को हल्के में लेने की बार बार गुस्ताख़ी कर रहे हैं। इससे शिकायतकर्ता भृष्टाचारियों के आगे खुद को असहाय महसूस करता है। जनता में शासन प्रशासन के प्रति आक्रोश और निराशा का संचार बग़ावत को जन्म देती है। ज़िम्मेदार अधिकारियों का गर यही रवैया रहा तो आगामी लोकसभा चुनाव भाजपा के लिए कांटों भरा सफर होगा। लोकसभा चुनाव की वैतरणी पार करने के लिए भाजपा तमाम छोटी बड़ी पार्टियों को एक साथ लेकर चुनाव जीतने के लिए भागीरथ यत्न करती नज़र आ रही है। यहां तक कि भृष्टाचार के आरोपी विपक्षी पार्टियों के नेताओं को भी तोड़कर पार्टी में जोड़ रही है। दूसरी तरफ प्रशानिक अमला उनकी इस मंशा और ज़ीरो टॉलरेंस पॉलिसी को पलीता लगाने पर तुला हुआ है। भाजपा के स्थानीय नेताओं की शिकायत भी अधिकारियों के दरबार में नक्कारखाने की तूती साबित हो रही है। जांच के नाम पर खानापूर्ति से लगता है कि कुछ सिरफिरे अधिकारी जनता के सिर से योगी मोदी का भूत उतार कर ही दम लेंगे। दशकों से सरकारी कर्मचारी सबसे अधिक मतदान भाजपा को करते रहे हैं। लेकिन पिछले विधानसभा चुनाव में सबसे अधिक मतदान कर्मचारियों ने सपा को देकर सपाई मानसिकता का परिचय दिया था। शायद इसकी प्रमुख वजह योगी सरकार की खायेंगे न खाने देंगे कि पॉलिसी की रही होगी। तभी तो अधिकारी भ्र्ष्टाचार की जांच मामले में गांधी जी के बंदर बन जाते हैं। अब देखना ये है कि सोलर वॉटर पम्प घोटाले की जांच में कोई नतीजा निकलकर सामने आता है या फिर ये भी बेंच घोटाले की तरह ठंडे बस्ते में डाल दिया जाता है।

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